महाराष्ट्र सरकार का गायों को लेकर चौंकाने वाला फैसला
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने एक बेहद चौंकाने वाला और महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसमें देशी गायों को "राज्य माता" (राज्यमाता-गोमाता) का दर्जा दिया गया है। यह निर्णय न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो सकता है।
गायों का महत्त्व और सरकार की मंशा
देशी गायों का भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही विशेष महत्त्व रहा है। वेदों में भी गायों को पूजनीय माना गया है। गाय का दूध, गोबर और गौमूत्र आयुर्वेदिक उपचार और जैविक खेती में उपयोग किया जाता है। इन सभी कारणों से महाराष्ट्र सरकार ने देशी गायों को "राज्य माता" का दर्जा देने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य गायों के संरक्षण, नस्लों की पुनर्स्थापना और जैविक खेती को बढ़ावा देना है।
आर्थिक सहायता और योजनाएं
इस निर्णय के तहत महाराष्ट्र सरकार ने देशी गायों की देखभाल के लिए गोशालाओं और किसानों को ₹50 प्रतिदिन की सब्सिडी देने की योजना बनाई है। इससे किसानों को देशी गायों को पालने और उनकी देखभाल में आर्थिक मदद मिलेगी। सरकार का मानना है कि इससे न केवल गोशालाओं की स्थिति में सुधार होगा बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी है।
गायों की घटती संख्या और संरक्षण की आवश्यकता
2019 में किए गए पशु गणना के अनुसार, महाराष्ट्र में देशी गायों की संख्या 46,13,632 थी, जो पिछले आंकड़ों की तुलना में 20.69% की गिरावट दर्शाती है। इस गिरावट को रोकने और गायों की नस्लों को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने यह कदम उठाया है। साथ ही, प्रत्येक जिले में एक "जिला गोशाला सत्यापन समिति" बनाई जाएगी, जो गोशालाओं की देखभाल और निरीक्षण का काम करेगी।
चुनावी रणनीति का हिस्सा?
यह निर्णय महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले लिया गया है, जिससे इसे चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। गायों का भारतीय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व होने के कारण यह फैसला सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने का एक साधन हो सकता है। हालांकि, सरकार ने इसे किसानों और पर्यावरण की भलाई के लिए उठाया गया कदम बताया है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य के किसानों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह देशी गायों के संरक्षण और उनके महत्त्व को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। जैविक खेती, आयुर्वेदिक चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह फैसला महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। देखना यह होगा कि आने वाले समय में इस योजना का कितना प्रभाव पड़ता है और क्या यह चुनावों में सरकार के लिए लाभकारी साबित होता है।
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